नई दिल्ली हिज्बुल मुजाहिद्दीन के आतंकी मन्नान वानी के मारे जाने के बाद देश की प्रतिष्ठित अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (AMU) के कश्मीरी छात्रों द्वारा नमाज-ए-जनाजा पढ़ने की कोशिश में देशद्रोह का केस दर्ज होने पर सियासत गरमा गई है. जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने केंद्र से मामले हस्तक्षेप करने की मांग करने के साथ-साथ कहा है कि छात्रों को अपने साथी को याद करने का पूरा हक है.  

पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने ट्वीट में लिखा,' छात्रों की आवाज दबाने के परिणाम अच्छे नहीं होंगे. छात्रों पर से केस वापस लिए जाने पर केंद्र हस्तक्षेप करे और एएमयू प्रशासन उनका निलंबन वापस ले. जम्मू-कश्मीर के बाहर की राज्य सरकारों को स्थिती पर संवेदनशील होना चाहिए, ताकि इनके अलगाव को रोका जा सके.
महबूबा मुफ्ती ने आगे लिखा, 'छात्रों को अपने सहपाठी जो कि कश्मीर में लगातार हिंसा का पीड़ित हो, उसे याद करने के लिए सजा देना गलत होगा.'

गौरतलब है कि आतंकी मन्नान वानी एएमयू में पीएचडी का छात्र था. कुछ दिनों पहले सोशल मीडिया पर एके-47 के साथ उसकी एक तस्वीर साझा हुई थी जिसके बाद यूनिवर्सिटी प्रशासन ने मन्नान को निलंबित कर दिया था. पिछले चार दिनों से एएमयू प्रशासन और कश्मीरी छात्र आमने-सामने हैं.

एएमयू में पढ़ने वाले कश्मीरी छात्रों ने हिज्बुल मुजाहिदीन के आतंकवादी मन्नान वानी की याद में नमाज-ए-जनाजा पढ़ने की कोशिश के दौरान देश विरोधी नारे लगाने के आरोप में अपने साथियों पर दर्ज देशद्रोह का मुकदमा वापस नहीं लिये जाने की स्थिति में एएमयू छोड़ने की चेतावनी दी है. इस मामले में दो छात्रों को निलंबित किया गया है वहीं 7 छात्रों के खिलाफ एफआईआर दर्ज हुई है.

ओवैसी को भी ऐतराज
इस मामले में ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने कहा, 'यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि छात्र अपनी पढ़ाई बीच में छो़ड़कर जाना चाहते हैं, मैं उम्मीद करता हूं कि मामले को गंभीरता से लिया जाएगा.'
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